Breaking
तप साधना को अपने जीवन में उतारने वाले महान संत है विराग सागर जी , तप साधना के साधक के नगर प्रवेश से, बागबाहरा की भूमि धन्य हुई - Jinshashansandesh
December 23, 2024

Office Address

123/A, Miranda City Likaoli
Prikano, Dope

Phone Number

+0989 7876 9865 9

+(090) 8765 86543 85

Email Address

info@example.com

example.mail@hum.com

City Education Health Lifestyle National Travel Uncategorized

तप साधना को अपने जीवन में उतारने वाले महान संत है विराग सागर जी , तप साधना के साधक के नगर प्रवेश से, बागबाहरा की भूमि धन्य हुई

तप साधनाओं को अपने जीवन में उतारने वाले संत हे विराग मुनि

बाग़बाड़ा की भूमि तप साधना के साधक के नगर प्रवेश से धन्य हुई

1 मई 2014 का वह पावन दिन राजस्थान पाली की वह पुण्य भूमि है जहां परम पूज्य श्री कुशल मुनि जी महाराज की पावन निश्रा में मनोज डाकलिया अपने पूरे परिवार के साथ पत्नी मोनिका पुत्री खुशी और भव्य डाकलिया के साथ एक ही दिन परिवार के सभी सदस्यों ने दीक्षा अंगीकार करते हुए संयम मार्ग की ओर अग्रसर होने का संकल्प पूरा किया।

पहली बार छत्तीसगढ़ की पावन धरा पर उज्जैन चातुर्मास करने के पश्चात तप साधना करते हुए हजारों किलोमीटर का पद विहार करते हुए नागपुर के मार्ग से छत्तीसगढ़ में पहली बार प्रवेश किया और रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों का पूरा वातावरण आध्यात्मिक बनाया। छत्तीसगढ़ क्षेत्र विचार के साथ ही अभी वर्तमान में विराग मुनि जी महाराज अपने गुरु भाई एवं संत साध्वी समुदाय के साथ बाग़बाता में विराजमान हैं।

परम पूज्य श्री विराग मुनि जी महाराज गुप्त उपवास तप प्रारंभ कर दी जानकारी समाज के किसी सदस्य को नहीं थी विराग मुनि जो भी तप करते हैं वह गुप्त तप रहता है जिस प्रकार किसी को नहीं लग पाता है वह दीक्षार्थी के
पूर्व पृथ्वी नाम मनोज डाकलिया वैराग्य जीवन के पूर्व जो कभी एक उपवास की साधना भी बड़ी कठिनाइयों से कर चुके थे गुरु कृपा और नाकोड़ा पार्श्व तीर्थयात्रियों की विशेष ईश्वरी कृपा से आपका आध्यात्मिक प्रयास तब संयम साधना की ओर निरंतर बढ़ता गया वैरागी जीवन जीते हुए उपवास एकासना आयंबिल बेला तेरा अठाई मासक्षमण कीतप आपने दीक्षार्थी के पूर्व भी प्रारंभ कर दी

1 मई 1914 वैशाख सुदी दूज के दिन, आपने दीक्षा ग्रहण कर संयम साधना करते हुए निर्विघ्नं तप साधना प्रारंभ कर दी, जैन दर्शन में होने वाले लगभग तप आपने कर लिए हैं
अभी वर्तमान में रत्नावली कंदावली तब की आराधना प्रारंभ है, इसमें एक उपवास फिर पढ़ना दो उपवास फिर पारना इस तरह से 16 उपवास तक कीताप चलती है और यह तप और यह तपस्या लगभग साडे 5 माह तक गतिमान होती है, यह तपस्या अभी वर्तमान में श्री विराग मुनि जी की गति हैचित्रण पारणा न करते हुए इस तपस्या को चालू रखा और आज 79 कीताप की ओर अग्रसर हैं बाग़बाड़ा के श्रावक श्राविकाओं को धर्म ज्ञान की प्रेरणा दे रहे हैं, अब आने वाला समय तय करेगा कि गुरुदेव कितनी लंबी तपस्या की ओर अग्रसर होते हैं

जिस तरह भगवान महावीर अभिग्रह लेकर तपस्या करते थे उसी तरह श्री विराग मुनि जी महाराज अभिग्रह लेकर तपस्या प्रारंभ की थी जो आज तक चल रही है गुप्त रूप से तपस्या करने वाले महान साधक श्री विराग मुनि जी तीन अभिग्रहीत फलीभूत हो चुके हैं

वर्षीतप उपधान तप सिद्धि तप उपवास एकासना आयबिल तेला अठाई पन्द्रह कीतप के दिन में दो बार सिर्फ गरम जल पीकर यह कठिन तप गुरु भगवान के आशीर्वाद से निर्विघ्नं कर रहे हैं।

वीरति यशा जी

पृथ्वी जीवन में मोनिका डाकलिया धर्म सहायक श्री मनोज डाकलिया परिवार की पुत्रवधू राजस्थान के पाली शहर में कर्तव्यनिष्ठ धर्म परायण महिला थी
धर्म ध्यान त्याग तपस्या में सदैव रहने वाली श्रीमती मोनिका अपने पति की पुत्री के साथ 1 मई 2014 को संयम जीवन धारण कर धर्म ध्यान त्याग तपस्या करते हुए जिन शासन की सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर दिया है
उपधान तप मूल विधि से करना अत्यंत दुःखकार कार्य है संयमी जीवन के इन दिनों में निरंतर किसी न किसी तप आराधना में सदैव लीन रहती है नवपदजी की ओली, आयबिल की तप आराधना आपके जीवन का एक अमूल्य हिस्सा बन चुका है आपके गुरु भगवंतो के प्रति अमित श्रद्धा आपके जीवन के अंदर कूट-कूट कर भरी है

भव्य मुनि एवं विनम्र यशा का गर्भ काल से ही धार्मिक संस्कारों का बीजोपण जी प्रारंभ हो चुका था, पृथ्वी जीवन काल में बचपन से ही मानवीय संस्कारों से प्रेरित थे, अपने बचपन के जीवन काल में 3 वर्ष से लेकर 7 वर्ष की आयु तक दादा दादी के सानिध्य में रहते हुए, इन दोनों ने धर्म आराधना प्रारंभ की इन परदादा की इच्छा थी की भव्य और खुशी दोनों ने दीक्ष ले दोनों दीक्ष ले उनकी यह प्रबल भावना थी
माता के गर्भ में उसी दौरान चिकित्सा कार्य से जयपुर गए थे, तब गुरु भगवंत ओके दर्शन वंदन करने के लिए जयपुर के उपाश्रय आरंभ में उनका आशीर्वाद प्राप्त हुआ,
उनके माता-पिता मनोज मोनिका डाकलिया को श्री जया नंदी महाराज ने भविष्यवाणी की थी कि यह बालक 8 वर्ष की आयु में दीक्ष लेगा और जिन शासन की सेवा में अपना अमूल्य योगदान देगा और मैं नहीं रहूंगा

2024 का आगामी चातुर्मास रायपुर मूर्ति पूजा का संघ को प्राप्त हुआ है, यह चातुर्मास दादाबाड़ी रायपुर में आयोजित होगा

और आने वाले दिनों में ग्रुप श्री संघ को भी आपके चातुर्मास का लाभ प्राप्त हो रहा है इस दिशा में संघ पुरुषार्थ कर रहा है

 

दुर्गा नगर के मूर्तिपूजक संघ एवं स्थानकवासी परंपरा के श्रावक-श्राविकाओं के कई सदस्यों की भावना है कि गुरुदेव के चातुर्मास का लाभ दुर्गा नगर को अवश्य मिला।

Share