भरूच जैन साध्वी जी की धटना की पुनरावृत्ति न हो,जैन समाज को जागना होगा अब डरने से काम नहीं चलेगा साधु साध्वी समुदाय की रक्षा के लिए आगे बड़े: आचार्य विमल सागर जी महाराज
भरूच मे हुई घटना की पुनरावृति किसी भी सम्प्रदाय के सन्त एव साध्वी जी के साथ, पुन नही हो, इसके लिए कुछ सावधानी आवश्यक है।
1-चारित्रिक आत्माए किसी भी सूरत मे सूर्योदय से पूर्व एव सूर्यास्त के बाद (अन्धकार हो जाने के बाद)विहार नही करे।
2-विशेषकर साध्वी जी महाराज सा, जहा से विहार प्रारम्भ हो रहा है एव गंतव्य स्थल (जहा पधार रहे हे) के, कम से कम 2/3 श्रावको के आने के बाद ही विहार प्रारम्भ करे।
विहार के समय यथासंभव सभी चारित्रिक आत्माए विशेष कर साध्वी जी महाराज सा एक साथ विहार करे, काफी आगे-पीछे विहार नही करे, अन्यथा श्रावको की सख्या, कम होने पर, पर्याप्त सुरक्षा व ध्यान रखना सम्भव नही हो सकेगा।
4- विहार प्रारम्भ होने वाले स्थल के श्रावक, गंतव्य स्थान के श्रावक आने के बाद ही,वापसी करे, बीच रास्ते मे, विहार में, संत -साध्वी जी महाराज सा को अकेला नहीं छोड़े.
5- हाइवे पर, अनजान जगहो पर , सुनसान जगली रास्तो पर, रात्री विश्राम के समय साध्वी जी महाराज सा के साथ, पर्याप्त संख्या मे महिलाए एव पुरुष भी साथ मे रहे ।साधु-साध्वीजी की सुरक्षा एव और समाज की भूमिका के बारे मे आचार्य विमल सागर जी महाराज सा की
खरी-खरी बाते