बुटाटी धाम, मेड़ता रोड राजस्थान से 27 किलोमीटर दूर
रिपोर्ट : नवीन संचेती दुर्ग
नागौर अजमेर हाईवे के बीच मेड़ता शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर बसा एक छोटा सा गांव है जिसे पूरे भारतवर्ष में बुटाटी धाम के नाम से जाना जाता है, यहां संत चतुरदास जी महाराज की जीवित समाधि स्थल है, जो आज एक मंदिर के रूप में विश्वसनीय हो गया है, यहां भारत के कोने-कोने से निकलने वाले परवर्ती जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज करने के लिए आते हैं। पूरे भारत में एक छोटा सा गांव बुटाटी है जो लकवा की बीमारी के इलाज के लिए प्रसिद्ध हुआ है।
संत चतुरदास जी महाराज जब जीवित थे तब उसी स्थान पर कृपा दृष्टि की सेवा करते थे आज देश के कोने-कोने से लकवा के धुन को यहां आकर ठीक होते जा रहे हैं संत चतुरदास जी महाराज के आशीर्वाद एवं दिव्य कृपा दृष्टि से धुन को बहुत अधिक लाभ मिलने जा रहा है
मंदिर परिसर के विशेषज्ञों से चर्चा के दौरान जानकारी मिली लकवा की बीमारी का इलाज करने के लिए कम से कम 7 दिन बुटाटी धाम में रोगी को सुबह और शाम को रहना होता है मंदिर में होने वाली आरती में शामिल होने से रोगी को सुबह और शाम को मिलकर दो बार मंदिर परिसर की निगरानी करना आवश्यक होता है माना जाता है कि
यहां रोगी आने के समय तो भगवान, कदम, अन्य लोगों के अनुरूप बुटाटी धाम सामने है लेकिन जाने के वक्त शादी उभरती है हमने कई वर्षों से चर्चा की है कि हर रोगी यहां आने के बाद अपनी बीमारी पर लाभ प्राप्त करते हुए उनके चेहरे की मुस्कुराहट देखते ही बन रही थी
जो रोगी जब डॉक्टर से थक जाती है और यहां आने के बाद जब उसे लाभ मिलता है तो वह खुशी लोगों के चेहरे पर दिखती ही रहती थी
भुटाटी धाम मंदिर समिति आने वाले भ्रमण एवं धुन के रहने वाले भोजन-पीने तथा फलों के धुन के भोजन बनाने की सुविधा मंदिर परिसर में ही कर रही है, जैसे कि चूल्हा, बर्तन गाड़ी तकिया बिस्तर एवं भोजन बनाने की सामग्री उपलब्ध कराती है, जिसे कोई भी चार्ज मंदिर समिति द्वारा नहीं लिया जाता है, यह सेवा की अनुकरणीय प्रेरित और वंदनीय है भुटाटी धाम मंदिर परिसर के बाहर मंदिर में चढ़ाने के लिए नारियल, तेल हवन कुंड में समर्पित किए जाते हैं और उससे निकलने वाली राख भस्म को जिस स्थान में लकवा मारा जाता है, उसे भस्म लगाना होता है,
प्रातः 5:30 बजे और शाम 7:00 बजे मंदिर परिसर पूजा पाठ की ध्वनि के मध्य गूंजायमान होता है, यह दोनों समय धुन को पूजा के समय मंदिर में रहने की निर्देशित की जाती है
मंदिर समिति द्वारा प्रतिदिन सुबह चाय नाश्ता दोनों समय भोजन की व्यवस्था की जाती है, जिसमें गांव के लोग भी अपना सहयोग प्रदान करते हैं और यहां भोजन प्रसादी तैयार करने में 30-40 महिलाओं का समूह श्रमदान देता है।
यहां पहुंचने के लिए ट्रेन के यात्री मेड़ता रोड स्टेशन में उतरते हैं, मेड़ता रोड बस स्टेशन जाकर वहां से हर 10 मिनट में बुटाटी धाम जाने के लिए रोडवेज एवं निजी जिम्मेदारी की सुविधा रहती है।
जो भी लकवा जैसी बीमारी से ग्रसित है या जिसे लकवा मारा है, इस भूतही धाम में तुरंत लकवा का शत प्रतिशत उपचार करने वाले संत श्री चतुरदास जी महाराज के दिव्य आशीर्वाद से हो जाता है