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बड़ी साधु वंदना के नियमित जपअनुष्ठान से दुःख कष्ट दुर होते हैं : साध्वी सु मंगल प्रभा जी - Jinshashansandesh
April 19, 2025

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बड़ी साधु वंदना के नियमित जपअनुष्ठान से दुःख कष्ट दुर होते हैं : साध्वी सु मंगल प्रभा जी

 

बड़ी साधु वंदना में विनय के गुणो का समावेश है : साध्वी सु मंगल प्रभा जी

रिपोर्ट : नवीन संचेती

जय आनंद मधुकर रतन भवन बांदा तालाब दुर्ग में आध्यात्मिक वर्षावास में धर्म सभा को संबोधित करते हुए मधुकर मनोहर शिष्या साध्वी श्री सुमंगल प्रभा जीका प्रवचन आचार्य सम्राट जयमल जी महाराज द्वारा रचित बड़ी साधु वंदना के विषय पर केन्द्रित था

गुरु मधुकर मनोहर शिष्या डॉ सुमंगल प्रभा ने जय आनंद मधुकर रतन भवन की धर्म सभा को संबोधित करते हुए
जय आनन्द मधुकर रतन दरबार में
गुरु मधुकर विनय मनोहर सुशिष्या डॉ० साध्वी सुमंगलप्रभा धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जो व्यक्ति क्षेत्र. जाति कुल कर्म शिल्प भाषा ज्ञान दर्शन चारित्र ये नौ प्रकार की बातें जहाँ श्रेष्ठतम रूप में विद्यमान हो वहाँ आर्यपन व आर्थ क्षेत्र होता है। और अगर यदि नौ ही बातें नहीं हो जिस जीवन में वो अनार्य होता है।

आर्य अनार्य के संबंध में चर्चा करते हुए बताया की आर्य कौन होता है? जो जाति से श्रेष्ठ हो, जो गुणों से श्रेष्ठ हो जिसके जीवन में कोई भी कुव्यसन ना हो वो आर्य आर्थ कहलाता है। ऐसे ही आर्य आर्य की श्रेणी में हुए अभयकुमारजी । आर्य अनार्य- वो होते है जो जाति से श्रेष्ठ हो पर गुणहीन हो – जिसका जीवन गुणों से रहित हो वो अनार्य कहलाता है। श्रेणिक महाराज की दादी जिसका नियम था कि वे प्रभु
महावीर, या किसी भी संत के दर्शन नहीं करेगी। धर्म कर्म की प्रवृति जहाँ हो वह आर्य क्षेत्र होता है।
साध्वी सुवृद्धि श्री एवं साध्वी रजत प्रभा ने अपनी बात रखी
आध्यात्मिक वर्षावास 2024 में जय आनंद मधुकर रतन भवन में त्याग और तपस्या का दौर चातुर्मास लगने के साथ ही प्रारंभ हो गया है श्रीमती सरला छत्तीसाबोहरा,नीलम बाफना अरिहंत संचेती महेंद्र संचेती श्रेयांस संचेती लेखा संचेती आरूषि संचेती नमिता संचेती आठ उपवास की तपस्या की ओर अग्रसर है जय आनंद मधुकर रतन भवन में चातुर्मास के बाद से ही एकासना, आयंबिल की तपस्या भी गतिमान है प्रतिदिन 11 घंटे के नवकार महामंत्र का जाप अनुष्ठान भी आध्यात्मिक वातावरण में हर्ष और उल्लास के साथ चल रहा है आज जाप के लाभार्थी परिवार जसराज जी पारख पारख परिवार थे

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