एकाग्रचित्त से पाया हुआ ज्ञान हमारे भविष्य को मजबूत बनाता है..युवाचार्य महेंद्र ऋषि महाराज
30 जुलाई चैन्नेई। एकाग्रचित्त से पाया हुआ ज्ञान हमारे भविष्य को मजबूत बनाता है। मंगलवार को एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में आयोजित विशाल प्रवचन धर्मसभा मे श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषि महाराज श्रावक श्राविकाओं संबोधित करतें हुए कहा कि जिस तरह दर्पण के सामने खड़े होने से हरेक को अपना स्वरूप देखने को मिलता है, उसी तरह महापुरुषों के जीवन प्रसंग हमारे लिए दर्पण की तरह होते हैं। आचार्य आनंद ऋषिजी म.सा.का जीवन दर्पण की तरह था। उनकी स्मृतियां हमारे स्मृति पटल पर आ जाती है। परमात्मा चार समाधि में शुद्ध समाधि का चित्र बताते हुए कहते हैं एकाग्रचित्त से पाया हुआ ज्ञान हमारे भविष्य को मजबूत बनाता है, हमें स्थिर कर देता है। किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होने देता। श्रुत का स्वाध्याय करने से समाधि पाने का अवसर मिलता है। युवाचार्य श्री ने बताया 7 दिसम्बर 1913 को बालक नेमीचंद दीक्षा ग्रहण की और आनंद ऋषि बने। उन्होंने कहा ऋषि परंपरागत शब्द है। आनंद नाम अपने आप में एक अद्भुत, विशेष अर्थ लिए हुए था। जो योगी होते हैं, वे सुख में या दुःख में नहीं रहते, वे आनंद में रहते हैं। आनंद नाम ऐसा है जो उस नाम के भीतर का सामर्थ्य रखता है। आचार्य आनंद ऋषिजी का यह सामर्थ्य अंत तक कायम रहा। उनकी ज्ञान साधना अप्रतीम थी। उनके प्रवचन में उर्दू, फारसी के दृष्टांत रहते थे इसलिए जैनेतर, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के लोग उत्सुकता से प्रवचन सुनने आते थे। उनका व्याकरण उच्च कोटि का था। यह उनकी प्रतिभा थी कि वे कोई भी ज्ञान को शीघ्र कंठस्थ कर लेते थे। उन्होंने बताया कि आचार्य आनंद ऋषिजी ने हमें संस्कृत का व्याकरण और काव्य साधना का अध्ययन कराया। ज्ञान ग्रहण करने के लिए समय और पैसा का खर्च होता है, हमें उसका महत्व समझना चाहिए। उनकी व्याकरण अच्छी होने के कारण उच्चारण बहुत प्रभावशाली हो गए। उनके गुरुदेव ने आचार्य आनंद ऋषिजी को प्रवचन देने का निर्देश दिया। उनके प्रवचन सुनकर उनके शिक्षक गर्व महसूस करते थे। उनकी शिक्षा का जिम्मा रत्न ऋषि महाराज ने संभाला था। हम गुरुदेव के जीवन को आईने की तरह रखकर उनके गुणों को ग्रहण करेंगे मानव भव को सफल बना पाएंगे। महासंघ के मंत्री धर्मीचंद सिंघवी ने धर्मसभा का संचालन करते हुए बताया ऊषा कटारिया ने 11 उपवास के युवाचार्यश्री से पचक्खाण लिए। आनंद जन्मोत्सव पर आयोजित सामूहिक तेलों की आराधना में जुड़ने का आग्रह किया। सोमवार से शुक्रवार प्रातः कर्मा की कक्षाएं चल रही है। 2.30 से 3.30 बजे महिलाओं के लिए ब्राह्मी ज्ञान कक्षाएं जारी है। रात्रि 8.15 से 9.30 बजे पुरुषों की जिज्ञासा समाधान कक्षा युवाचार्यश्री लेते हैं। छत्तीसगढ़ से आए दिलीप छत्तीसा बोहरा व उनकी धर्म सहायिका, पूना से प्रशांत भटेवड़ा युवाचार्यश्री के दर्शनार्थ उपस्थित हुए। मंगलवार को नवकार महामंत्र जाप के लाभार्थी भंवरलाल रमेशकुमार ओस्तवाल परिवार थे
उपरोक्त जानकारी प्रवक्ता सुनिल चपलोत ने दी