आचार्य आनंद ऋषि महान् साधक, सलाहकार व आशीर्वाद दाता थे- युवाचार्य महेंद्र ऋषि जी एएमकेएम में नौ दिवसीय आनंद जन्मोत्सव आठवां दिवस
आचार्य आनंद ऋषि महान् साधक, सलाहकार व आशीर्वाद दाता थे- युवाचार्य महेंद्र ऋषि जी
एएमकेएम में नौ दिवसीय आनंद जन्मोत्सव आठवां दिवस
4 अगस्त चैन्नेई। एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में चातुर्मासार्थ विराजित श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी रविवार को दोपहर विशाल प्रवचन धर्मसभा मे श्रध्दालुओं को बताया कि संसार मे साधक चार प्रकार के होते हैं। एक वे, जो अपने दुःख का, अपने भव का अंत करने वाले होते हैं लेकिन औरों का नहीं। अपने पुरुषार्थ, आराधना से वे अपनी नैया को संसार सागर से पार कर लेते हैं लेकिन औरों के लिए कुछ नहीं कर पाते। एक वे होते हैं जो दूसरों के दुःख का अंत कर देते हैं लेकिन अपने भव भ्रमण का अंत नहीं कर पाते। हम सोचते हैं इस संसार में जैसै को तैसा होना चाहिए लेकिन आज की दुनिया आसान नहीं है। उन्होंने कहा आचारांग सूत्र में कहा गया है अशस्त्र से बढ़कर कोई शस्त्र नहीं होता है। एक वे होते हैं जो अपने भव भ्रमण को मिटा देते हैं और दूसरों को भी आगे बढ़ा देते हैं, चाहे वो गणधर हो या आचार्य आनंद ऋषिजी।
उन्होंने आगे कहा कि आचार्य आनंद ऋषिजी की साधना निरंतर चलती थी। कभी किसी नियम को उन्होंने तोड़ा ही नहीं। वे भीतर से भी साधना में तन्मय रहते थे। उस साधना में जीवन का प्रभाव ऐसा था कि जो भी उनके चरणों में आते थे, वे भी साधना से जुड़ जाते थे। कोई दुःखी, संघर्षशील उनके पास पहुंच जाता, उसे शांति का अनुभव कराते। आज भी जो आनंद धाम परिसर में पहुंचता है, वह आनंद, शांति का अनुभव करता है। अंतिम समय में जो भी उनके दर्शन करने आते थे, हमने उनके मस्तक पर शिकन तक नहीं देखी। उन्होंने आखिरी 1991 की संवत्सरी तक चौविहार उपवास ही किया। उन्होंने कहा आप मानोगे नहीं, जितनी उनकी नाॅर्मल में साता रहती थी, उससे ज्यादा चौविहार उपवास में रहती थी। उनमें सबके कल्याण की भावना थी। उनका सबके प्रति सम्मान, सद्भाव था। वे सबको आशीर्वाद देते थे और उनकी चिंता मिट जाती थी। उनकी हमेशा किसी को भी सही मार्गदर्शन करने की भावना रहती थी। वे कहा करते थे कि जब तक हमारी साधना मजबूत नहीं बनती, हमें दूसरों को सलाह नहीं देनी चाहिए। सबका आत्मविश्वास, कृतत्व, योग्यता आगे बढ़ाने का उनका प्रयास रहता था।
उन्होंने कहा वे अपने आप में महान् साधक थे। गुरुदेव के पास जो था, उसका प्रदर्शन करना नहीं पड़ा। उनको बिना बांसुरी प्रचार मिलता था। उनके वचन सत्य होते थे इसलिए उनकी वाणी में सिद्धि थी। जिनकी वाणी में झूठ नहीं रहता, उनकी वाणी में सामर्थ्य रहता है। उनके पांव में पद्मकमल चिन्ह था। जो उनके आभामंडल में पहुंच जाता, समझो, उसमें सकारात्मकता का संचार हो जाता। उन्होंने जीवन में सत्य कल्याण, सत्य मंगल की प्रभावना की। हमें उनका आशीर्वाद मिला और आज भी मिल रहा है।
इस दौरान जैनत्व प्रचारिका डॉ. प्रियदर्शना ने अपने वक्तव्य में मद्रास यूनिवर्सिटी में जैनोलाॅजी पाठ्यक्रम में सबको जुड़ने का आव्हान किया। महासती अणिमाश्री जी ने काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी। इस दौरान दिल्ली स्थानकवासी जैन कांफ्रेंस के पूर्वाध्यक्ष पारस मोदी एवं एसएस जैन सभा वीरनगर दिल्ली का प्रतिनिधि मंडल राजकुमार जैन, अनिल- रविन्द्र जैन, महिला संघ की अध्यक्ष अल्का जैन के नेतृत्व में युवाचार्यश्री के 2026-27 के चातुर्मास की विनंती के लिए उपस्थित हुए। कांचीपुरम से एक संघ युवाचार्यश्री के दर्शनार्थ व वंदनार्थ उपस्थित हुआ। वर्धमान स्थानकवासी जैन महासंघ तमिलनाडु के मंत्री एल. धर्मीचंद सिंघवी ने बताया कि सोमवार को आचार्य आनंद ऋषिजी की जन्म जयंती तप- जप के साथ मनाई जाएगी और प्रवचन सुबह 9 बजे से शुरू होंगे। मध्याह्न 3 बजे सुप्रसिद्ध संगीतकार रोहित लुंकड़ गुरु भक्ति की प्रस्तुति देंगे। प्रवचन के दौरान कल्पना रुपाणी ने 16 उपवास और पूना से आई शीतल जैन ने 29 उपवास के पचक्खाण लिए। शीतल जैन मासक्षमण की ओर अग्रसर है। सामूहिक तेलों की आराधना की ओर बढ़ते कदम में बड़ी संख्या युवाचार्यश्री से दो उपवास के तपस्वियों ने सामूहिक रुप से पचक्खाण ग्रहण किए। प्रातः बाल संस्कार शिविर का आयोजन हुआ जिसमें 900 से ज्यादा बच्चों ने हिस्सा लिया। कमल छल्लाणी ने धर्मसभा का संचालन किया।
प्रवक्ता सुनिल चपलोत
9414730514
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन महासंघ तमिलनाडु एएमकेएम चैन्नेई