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युवाचार्य भगवत के सानिध्य में आचार्य सम्राट आनंद ऋषि जी की जन्म जयंती मनाई गई,देश के विभिन्न शहरों से पहुंचे गुरु भक्त - Jinshashansandesh
December 23, 2024

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युवाचार्य भगवत के सानिध्य में आचार्य सम्राट आनंद ऋषि जी की जन्म जयंती मनाई गई,देश के विभिन्न शहरों से पहुंचे गुरु भक्त

आचार्य आनंद ऋषि जी ने मानव जीवन को हर क्षण सार्थक और पुरुषार्थ करने महान बने – युवाचार्य महेंद्र ऋषि जी महाराज

एएमकेएम में आचार्य आनंद ऋषि महाराज का जन्मोत्सव तप त्याग और गुणगान के साथ मनाया गया।

5 अगस्त चैन्नेई।एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में श्रमणसंघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी के सान्निध्य में आचार्य आनंद ऋषि महाराज की जन्म जयंती समारोह तप-जप और गुणगान के साथ मनाई गई।‌ इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। वर्धमान स्थानकवासी जैन महासंघ तमिलनाडु के मंत्री धर्मीचंद सिंघवी ने स्वागत भाषण में कहा कि आज का यह पावन दिवस हम सभी यहां मना रहे हैं। पूरे देश से श्रद्धालुओं का आगमन हुआ है। आज से 52 वर्ष पहले कुशालपुरा में आचार्य आनंद ऋषि का चातुर्मास हुआ, वह आज तक नहीं भूल पाए। युवाचार्यश्री का चातुर्मास कराने का अवसर मिला है। उपनगरों के सभी संघों का संगठन बनाकर महासंघ बनाया गया। सबकी सहभागिता से यह चातुर्मास आगे बढ़ रहा है।‌ आज बड़ी संख्या में सामूहिक तेलों का आयोजन हुआ। युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं ताकि भावी पीढ़ी धर्म से जुड़ सके। आपका सहयोग मिलेगा तो महासंघ को सफलता मिलेगी। उन्होंने बताया कि आगामी 9 अगस्त को अर्थमेटिक विशेषज्ञ वैज्ञानिक अनुपम जैन कार्यशाला आयोजित करेंगे। उन्होंने महासंघ की ओर से उपप्रवर्तिनी कंचनकंवरजी को उनके अवतरण दिवस की शुभकामनाएं दी।
युवाचार्यश्री ने ‘ज्यों की त्यों कर दी चदरिया’ विषय पर अपने संबोधन में कहा कि प्रभु कहते हैं जिस श्रद्धा, दृढ़ता से तुम आगे बढे हो, उसी तरह आगे बढ़ते रहो। भावों के रूप में कुछ विपरीत परिस्थितियां आए तो अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हो। ऐसी स्थिति में आचार्य आनंद ऋषि कीचड़ में कमल की तरह उभरे। सबसे पहले उन्होंने मानवता की चादर ओढ़ी। मानव जीवन को हर क्षण सार्थक बनाने का पुरुषार्थ किया। जीवन की संयम जिम्मेदारी की चादर को निर्मल रखा। उनके अंतिम समय में शरीर का राग नहीं रहा। हम उनके आदर्शों को जीवन में अपनाने का यथासंभव प्रयास करें। महासती मलयाश्री ने भाव भरा स्तवन प्रस्तुत किया और कहा कि गुरु और गुरूणीजी दोनों का जन्म दिन आज एक साथ मनाया जा रहा है। महासती अणिमाश्री व मलयाश्री ने काव्यपाठ द्वारा आचार्य आनंद ऋषि का गुणगान किया। महासती दिव्ययशाश्री ने कहा कि महापुरुषों का जन्म, जीवन व संयम पवित्र होता है। ऐसे कई उदाहरण आचार्य आनंद ऋषि के जीवन के है। वे अपनी वचन शक्ति में बहुत ही दयालु, निर्मोही व पारदर्शी पथिक के समान थे। अज्ञान के अंधकार को दूर कर सबके जीवन में प्रकाश करने वाले थे। उनका जीवन गंगा के जल के समान निर्मल था। उनके प्रति श्रद्धा भक्ति रखते हुए हम जीवन को धन्य बनाएं।
इस अवसर पर एक छोटी बालिका प्रभावी कासवा ने ओसवाल परिवार की ओर से उपप्रवर्तिनी कंचनकंवरजी को अवतरण दिवस पर शुभकामना अर्पित की। इस दौरान जलगांव से आए श्रद्धालुओं ने युवाचार्य के संयम जीवन पर आधारित ‘संस्कारों से संयम की ओर’ मार्मिक नाटिका प्रस्तुत की। कुछ भावुक क्षणों की प्रस्तुति में उपस्थित श्रद्धालु अत्यंत भावुक हो उठे।‌ लुधियाना श्री संघ के अध्यक्ष संजीव जैन व मुदुर संघों की ओर से आगामी युवाचार्य श्री के चातुर्मास की विनंती रखी। श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कांफ्रेंस के अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी, पूर्व अध्यक्ष पारस मोदी, सज्जनराज तालेड़ा ने अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर युवाचार्यश्री ने शीतल गुगले को मासक्षमण के प्रत्याख्यान कराए महासंघ के अध्यक्ष सुरेश चंद लुणावत महामंत्री धर्मीचंद सिघंवी ओर पदाधिकारियों तथा महासंघ महिला मंडल की बहनो ने मासक्षमण एवं तेले तप करने वाले सभी तपस्वियों का सामूहिक रुप से बहुमान किया ।
मध्याह्न 3 बजे सुप्रसिद्ध संगीतकार रोहित लुंकड़ ने आनंद जन्मोत्सव व तपस्यार्थियों की अनुमोदना करते हुए अपनी प्रस्तुति दी।

उपरोक्त जानकारी प्रवक्ता सुनिल चपलोत ने दी

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