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जहां में वहां अहंकार जहां हम वहां प्यार : साध्वी सु मंगल प्रभा जी - Jinshashansandesh
December 23, 2024

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जहां में वहां अहंकार जहां हम वहां प्यार : साध्वी सु मंगल प्रभा जी

जहां में वहां अहंकार जहां हम वहां प्यार : साध्वी सु मंगल प्रभा जी

रिपोर्ट : नवीन संचेती

( दुर्ग छत्तीसगढ़ ) आज के मनुष्य की यह कैसी विडम्बना है कि उसे थोड़ा सा सम्मान मिलते ही वह पागल हो जाता है। जरा सा धन प्राप्त होते ही बेकाबू हो जाता है। साधारण सा ज्ञानार्जन सीखते ही वह उपदेश की भाषा में बोलने लग जाता है । तनिक सा यश मिलते ही दुनिया का उपहास करने लग जाता है। यदि सुन्दर रूप मिल गया तो वह दर्पण को तोड़ डालता है। थोड़ा सा अधिकार हासिल होते ही वह दूसरों को तबाह करने में लग जाता है। इस प्रकार तमाम उम्र यह मनुष्य चलनी से पानी, भरने की प्रक्रिया करते हुए अपने आप को बड़ा महत्वपूर्ण समझता है।
उक्त उद्बोधन आध्यात्मिक वर्षावास की धर्म सभा में जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में साध्वी डा सु मंगल प्रभा जी ने व्यक्त की

साध्वी श्री ने धर्म सभा में प्रवचन श्रृंखला को संबोधित करते हुए कहा
मनुष्य की सभ्यता जितनी विकसित हुई है उतना ही मनुष्य जटिल. कगेर और अहंकारी वन गया। मनुष्य के हाथ में कुछ भी नहीं है फिर भी उसे में कुछ हूँ का वहम पैदा होता है। वो यही सोचता है कि मेरे किना दुनियां का कोई काम नहीं चलता में ही सबका पालन पोषण करता हूँ और मैं ना रहूं तो परिवार भूम्या मर जाएगा परंतु अभिमानी के सारे विचार व्यर्थ की कल्पनाऐं है। किसी के बिना किसी का काम रुकता नहीं। सभी को अपने कर्मों के अनुसार सब कुछ मिलता है परंतु व्याक्ति मान लेता है कि मैं ही सबके लिए सहारा है।

प्रकृति का यह महान आश्चर्य है कि सीपियों ने असंख्य मोतियों को जन्म दिया परंतु वे कभी इठलाती नहीं है। कीचड़ ने असंख्य कमल पैदा किए किंतु गर्व और घमण्ड नहीं किया।

अभिमानी व्यक्ति सोडा वाटर की बोटल की गोली की तरह न तो अंदर की गंदगी को बाहर निकलने देता है और न ही बाहर की ताजी हवा को अंदर आने देता है। वो तो अहंकार के मद के भीतर ही रहता है। अहंकार की परत जब तक तुम्हारे अंतर मानस्स में बनी रहेगी तब तक तुम्हें अपने से अतिरिक्त कोई नहीं दिखेना जीवन का लक्ष्य में का प्रचार नहीं होना चाहिए।

जय आनंद मधुकर रतन भवन में चातुर्मास में त्याग तपस्या धर्म ध्यान का ठाठ चल रहा हे 11 धंटे कानवकार महामंत्र का जाप अनुष्ठान चल रहा हे , सिद्धि तप का चौथा चक्र प्रारंभ हुआ हे जिसमें बड़ी संख्या में लोग इस तपस्या मे भाग ले रहे हैं

रक्षाबंधन के पूर्व दिवस पर भाई बहन का रक्षा जाप एवं
पुच्छीसुणम का सहजोडे जाप का आयोजन

16 जुलाई एवं 18 जुलाई को सह जोड़े जाप का आयोजन साध्वी सु मंगल प्रभा जी के सानिध्य में आयोजित किया जा रहा

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