धन जितने सुख देता है उतने ही दुखों का कारण भी बनता है : साध्वी सु मंगल प्रभा जी
रिपोर्ट : नवीन संचेती
दुर्ग छत्तीसगढ़ मनुष्य के जीवन में धर्म के पुरुषार्थ का उदय ही तब होता है जब उसे अर्थ की व्यर्थता महसूस होती है। जिन क्षणों में उसे अर्थ की निरर्थकता का बोध होता है, तब यक एक नवीन अर्थ एक नुतन दिशा और एक सोपान उपलब्ध हो जाता है।
अगर कोई धन संपति, पर प्रतिष्ठा को ही सुख का मापदंड समझ रहा है तो अभी वास्तविक आनंद की कोई किरण उसके जीवन में उपलब्ध नहीं हो पाई है। कर उन्हीं सुखों के साधन समझता रहता है। जो व्यक्ति अपने जीवन को मात्र धनोपार्जन के लिए लगा देता है, वह धन की दृष्टि से तो धनवान हो जाता है किंतु शेष दृष्टि से कंगाला रह जाता है। उसके जीवन से परमात्मा निकल जाता है।
उक्त उदगार जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग की धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी सु मंगल प्रभा जी ने व्यक्त किए
धन के लिए जीने वाला व्यक्ति आत्मा से रहित हो जाता है। संसार चलाने के लिए आवश्यकतानुसार धनोपार्जन उचित है. लेकिन बेहिसाब संग्रह की प्रवृति खतरनाक हद तक बढ़ जाती है। अमीर व्यक्ति अपनी तिजोरी खोलता है और अपने धन को देखकर खुश होता है। इतराता है तो सोचो बैंक का केशियर भी तो यही काम करता है दिन भर रुपयों में ही जीवन व्यतीत करता है। पर वह जानता है कि यह धन मेरा नहीं है वह धन के पास रहकर भी निर्लिप्त होता है। पता है कि जितना छन एकषित किया है उसका उपभोग नहीं कर पायेंगे फिर भी धन के प्रति
आसक्ति कम नहीं होती। धन की आवश्यकता भी है और सार्थकता भी। लेकिन जितनी सार्थकता है उतनी व्यर्थता भी है। धन जितने सुख देता है उतने ही दुख का कारण बनता है
पुचछीसुणम का सह जोड़े जाप अनुष्ठान 16 को
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जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा कला बुजुर्ग में 16 अगस्त को प्रातः 8:30 बजे से पति पत्नी के जोड़े के साथ यह जॉप अनुष्ठान साध्वी मंडल के सानिध्य में होने जा रहा है जिसमें जैन समाज के बहुत से लोगों ने अपना नाम लिखवाया है और भी जिन्हें भी इस जाप अनुष्ठान में शामिल होना है वह साध्वी मंडल के पास अपना नाम लिखवा सकते हैं
18 अगस्त को होगा भाई
बहनों का रक्षा जाप
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जय आनंद मधुकर रतन धन भवन के सभागार में रक्षाबंधन के पूर्व दिवस रविवार को भाई-बहनों का रक्षा जाप अनुष्ठान साध्वी भगवंतो के सानिध्य में संपन्न होगा