Breaking
जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में आयंबिल की 75वी वर्षगांठ मनाई गई 250से अधिक साधक साधिकाओं ने किया यह तप - Jinshashansandesh
December 23, 2024

Office Address

123/A, Miranda City Likaoli
Prikano, Dope

Phone Number

+0989 7876 9865 9

+(090) 8765 86543 85

Email Address

info@example.com

example.mail@hum.com

City Education Health Lifestyle

जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में आयंबिल की 75वी वर्षगांठ मनाई गई 250से अधिक साधक साधिकाओं ने किया यह तप

250 से अधिक साधक साधिकाओं ने आज एक साथ मिलकर आयंबिल तप की आराधना की सकल श्वेतांबर जैन समाज के बेनर तले आयोजित आयंबिल तप की 75वी वर्षगांठ पर के अवसर पर की श्रमण संघ, मूर्ति पूजक साधुमार्गी,समरथ, सुधर्म तेरापंथ शांतक्रांत सहित जेन समाज के सदस्य इस आयोजन में शामिल हुए

आज से 75 वर्ष पूर्व ऐसी साधना और आराधना दुर्ग शहर में प्रारंभ हुई थी जो आज तक हर्ष और उल्लास के वातावरण में निर्वात गति से चल रही है आज जय आनंद मधुकर रतन भवन के प्रांगण में आयंबिल की 75वीं वर्षगांठ साध्वी सुमंगल प्रभा जी के मंगल पाठ के साथ प्रारंभ हुआ

आयम्बिल 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर 1 ग्राम के 3 सिक्के सोने के सिक्के एवं 75 चांदी के सिक्के इस अवसर पर ड्रॉ द्वारा निकाले जाएंगे यह सिक्के आयंबिल करने वाले साधकों के बीच से निकालें जाएंगे
कोई तप साधना 75 वर्षों से लगातार संचालित हो यह बहुत बड़ी बात है आज से 75 वर्ष पूर्व सन 1949 मे श्री प्रेमराज जी श्रीश्रीमाल ने यह तप दुर्ग शहर में प्रारंभ करवाया था
और प्रतिदिन श्वेतांबर जैन समाज के घर में प्रतिदिन आयबिल उपवास एकासन की थेली जेन परिवार के धर माह में एक बार पहुंचती थी जिस घर में यह थैली पहुंचती थी जाती थी उसे घर के एक सदस्य को उसे दिन तप की आराधना करनी होती थी

आयंबिल की 75वीं वर्षगांठ श्री हर्षित मुनि जी श्री कल्पज्ञय सागर जी
श्री सुमंगल प्रभा जी म.सा. आदि ठाणा
श्री हेम प्रभा जी श्री दर्शनप्रभा श्री जी सहित सभी साधु साध्वी समुदाय का सानिध्य एवं आशीर्वाद प्राप्त हुआ आज के इस तप महोत्सव में 250 से अधिक साधक साधिकाओं ने भाग लिया
श्रमण संघ स्वाध्याय मंडल एवं श्रमण संघ महिला मंडल के सदस्यों ने इस तप महोत्सव में अपनी सेवाएं दी
आज के आयंबिल तप में चांदी एवं सोने के सिक्के के लाभार्थी परिवार श्रीपाल हरीश कुमार आनंद कुमार अमित कुमार श्रीश्रीमाल परिवार थे

आयंबिल तप क्या होता हे केसा खान पान होता हे आओ हम जानें…….

भगवान महावीर ने हमें तपस्या के कई मार्ग बताए हैं। जैसे नवकारसी, पोरसी, बियासना, एकासना, उपवास आदि। आयंबिल उन्हीं में से एक है। आयंबिल में सभी द्रव्य याने दूध, दही, घी, तेल, शक्कर आदि सभी का त्याग किया जाता है। आयंबिल में नमक का भी त्याग होता है। आयंबिल की तपस्या रसनेद्रिंय पर विजय प्राप्त करने के लिए करते हैं। अपना पेट भरने के लिए एक स्थान पर बैठकर दिन में सिर्फ एक बार लूखा-सुखा आहार करना। समभाव की साधना करना यही आयंबिल ओली का हेतू है। लगभग चैत्र शुक्ल सप्तमी से चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तक आयंबिल ओली की जाती है। श्रीपाल-मैना ने यह तपस्या की थी और तब से यह आयंबिल ओली प्रारंभ हुई।

आयम्बिल एक तप है। इसमें दिन में एक बार भोजन किया जाता है लेकिन भोजन बहुत ही मर्यादित होता है जिसमे दूध, दही, घी, तेल, किसी भी प्रकार की मिठाई, गुड, शक्कर, मिर्ची, हल्दी, धनिया, कोई भी हरी सब्जी और फल, सूखे मेवे आदि वस्तुओ का संपूर्ण त्याग होता है।

आयम्बिल में सिर्फ अनाज और दालों को पकाकर केवल बिना नमक, काली मिर्च और हिंग डालकर सिर्फ उबले पानी के साथ यह लूखा सुखा भोजन दिन मे केवल एकबार मध्यान्ह के करीब किया जाता है।

यह भोजन मनुष्य की जीभ की लालसा, जीभ की स्वादिष्ट भोजन करने की आदत को तोड़ने के लिए किया जाता है।

Share