धन जितने सुख देता है उतने ही ज्यादा दुःख का कारण बनता है : साध्वी सु मंगल प्रभा जी
धन जितने सुख देता है उतने ही दुखों का कारण भी बनता है : साध्वी सु मंगल प्रभा जी रिपोर्ट : नवीन संचेती दुर्ग छत्तीसगढ़ मनुष्य के जीवन में धर्म के पुरुषार्थ का उदय ही तब होता है जब उसे अर्थ की व्यर्थता