संत एक ऐसी मास्टर चाबी है जो सभी तालों को खोल देती है संत के संदेश हमेशा सब प्रेरणा देने वाले होते हैं बस आवश्यकता इस बात की है कि हम उसे किस रूप में स्वीकार करते हुए अपने जीवन में उतरते हैं संत के दर्शन से उनके सानिध्य पाने से हमें ज्ञान प्राप्त होता है और ज्ञान के साथ उनका प्रत्यक्ष आशीर्वाद भी हमें नित नयी प्रेरणा देता है
संत के दर्शन मात्र से तिर्यच गति से मानव जीवन प्राप्त करने के अनेक प्रेरक प्रसंग जैन कथा कहानियों में सुनने को मिलते हैं
उक्त उदगार आज जय आनंद मधुकर रतन भवन बांदा तालाब दुर्ग की धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी सु मंगल प्रभा जी ने व्यक्त किये
साध्वी श्री ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए आगे कहा संत के दर्शन करने से हृदय में धर्म व शांति का संचार होता है। संत दर्शन में भी गुणानुराग की दृष्टि होनी चाहिए । ग्रहणशील साधक दृष्टि तथा चरण स्पर्श के द्वारा उस शक्ति को ग्रहण करते हैं। जिसमें ग्रहण शीलता नहीं होती है वह उस शक्ति से लाभान्वित नहीं होता है।
संत का मन फूलों की कली है, संत का हृदयअमृत की प्याली है।
एक संत के दर्शनों हेतु युवाओं ने जब आशीवाद मांगा तब उस संत ने भी उनसे वचन मांगा। वचन के दौरान जीवन की बुराई का त्याग व्यसनों को छोड़ना अच्छाई को अपनाना यह कीमती भेंट मांगी संत ने। संत की उपस्थिति समाज सेवा है। संत का मौन प्रक्चन है। संत का सानिध्य पथ दर्शन है। खेत का दर्शन चिन्ता मुक्ति की औषधि है।
साध्वी श्री ने आगे कहा
संत वह ‘मास्टर चाबी ‘है जो जीवन के हर ताले को खोल देती है। संत वह नहीं होता जो संप्रदाय में ही रहता है। संत वह होता है जो अपने आपमें रहता है।
साध्वी भगवंतो के सानिध्य में
प्रतिदिन 11 घंटे के नवकार महामंत्र जाप जो प्रातः 6:00 बजे से प्रारंभ होकर संध्या 5:00 बजे तक चलता है जिसमें जैन समाज के सभी वर्ग के ना पर महामंत्र जाप अनुष्ठान में भाग ले रहे हैं इसी प्रकार सिद्धि तप वंदना मासक्षमण वंदना की तपस्या में भी बड़ी संख्या में साधक हिस्सा ले रहे हैं
साध्वी सु सुवृद्धि श्रीजी की सिद्धितप की तपस्या उपवास के साथ गतिमान है अभी सिद्धि तप का चौथा चक्र प्रारंभ है
धर्म सभा को साध्वी रजत प्रभा श्री जी ने भी संबोधित किया
साध्वी भगवंतो के आहार एवं व्यवाच सेवा में नितिन संचेती,सोरभ रतनबोहरा , पंकज बेगानी का लगातार सहयोग प्राप्त हो रहा हे धर्म सभा का संचालन संघ के मंत्री राकेश संचेती कर रहे हे