कवि हृदय एवं जीव दया प्रेमी श्री इंदर चंद जी लुनिया ऋषभ कॉलोनी निवासी का आज प्रातः निधन हो गया
प्रतिदिन घूम घूम कर नियमित रूप से गायों की सेवा करने वाले श्री दुनिया कई वर्षों से गायों को रोटी चारा खिलाने का कार्य कर रहे थे
शहर में विराज रहे साधु संतों का नियमित दर्शन वंदन उनकी दिनचर्या का एक अंग था किसी वर्ग संप्रदाय के भी साधु संतों की दर्शन वंदन का लाभ वह नियमित रूप से लेते थे
जीव दया प्रेमी के साथ-साथ श्री इंदरचंद की लुनिया बहुत अच्छे रचनाकार भी थे मां के ऊपर लिखी उनकी रचना को सुनने का शहर वासियों को मौका मिला था एक बार जब छत्तीसगढ़ प्रवर्तक गुरुदेव रतन मुनि का चातुर्मास आनंद मधुकर रतन भवन बांदा तालाब दुर्ग में चल रहा था तब प्रतिदिन उनके दर्शन वंदन और वयावच का लाभ लें लेते रहे इसी दौरान उन्होंने मां के ऊपर लिखी कविता का रस जय आनंद मधुकर रतन भवन बांदा तालाब दुर्ग में कराया था उनके निधन से शहर एवं जैन समाज में दुख की लहर फैली हुई है