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मानवता की अद्भुत मिशाल थे श्री मेघराज जी जैन जीवन पर्यन्त लोगों का किया खुब सहयोग - Jinshashansandesh
December 22, 2024

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मानवता की अद्भुत मिशाल थे श्री मेघराज जी जैन जीवन पर्यन्त लोगों का किया खुब सहयोग

नवीन संचेती, दुर्ग छत्तीसगढ़ 

आओ हम इनका अनुसरण करें

दुर्ग जैन समाज का ऐसा अनमोल सितारा जिसे हम क्षितिज का ध्रुव तारा भी कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी जिन्होंने अपना पूरा जीवन नैतिक सिद्धांतों पर जिया और परिवार के हर सदस्यों को ऐसा करने की प्रेरणा और संस्कार भी दिए
समता भाव के साथ अपने सिद्धांतों से कभी भी समझौता नहीं करते हुए मानव कल्याणकारी कार्य करते हुए अपने इस मानव जीवन को जीने में एक इतिहास रच दिया जिंदादिली से जीवन जीते हुए हजारों दिलों में राज करते हुए पूरे समता भाव समर्पण सद्भाव और सिद्धांतों के साथ अपने जीवन को चरितार्थ किया
दुर्ग नगर की ऐसी ही एक शख्सियत का नाम है श्री मेघराज जैन श्रीश्रीमाल

 

समाजवादी विचारधारा के कट्टर समर्थक राम मनोहर लोहिया को अपने जीवन का आदर्श मानने वाले आर एस एस जंनसध में तन मन धन से समर्पित मेघराज जैन श्रीश्रीमाल का जन्म 1932 में दुर्ग नगर की पावन धरा पर हुआ था बचपन से ही माता-पिता के उच्च कोटि के संस्कारों की वजह से दुर्ग ही नहीं वरन पूरे भारतवर्ष में आपकी अपनी एक अलग पहचान थी उसी पहचान को आपने जीवन पर्यंत जीवित रखा

बचपन मे प्राथमिक शिक्षा अध्ययन करते हुए पिता एवं भाई के साथ व्यवसायिक कार्य में सहयोग देना प्रारंभ कर दिया था युवावस्था में कदम रखने के साथ- आपका शुभ विवाह श्रीमती पिस्ता बाई के साथ संपन्न हुआ

श्री मेघराज जैन यह नाम में बचपन से सुनते आ रहे था कभी उनके साथ बात करने का समय व्यतीत करने का ऐसा पावन अवसर तो मुझे प्राप्त नहीं हुआ लेकिन जिन्हें भी उनके सानिध्य प्राप्त हुआ होगा वह वास्तव में अपने आप को धन्य महसूस करता होगा
हमने सुना है जो भी व्यक्ति जब-जब जितना भी उनसे मिलने का अवसर पाया है जीवन में हर बार नई-नई सीख जीवन जीने के लिए लोगों को मिलती रही है

सादगी जिनका दर्शन है सरलता और सहजता जिनका दर्पण है सौम्यता जिनकी अनंत विशाल है भावुकता जिनकी पहचान है ऐसे कई गुणों के धारक जिनके कार्यों से उनकी अपनी अलग एक पहचान थी हर पल हर क्षण जिन्हें सहयोग करते हुए देखा और जाना जाता था उनके पिता श्री घेवरचंद जी श्री श्रीमाल एवं माता श्रीमती गजरा बाई उच्च कोटि के संस्कारों से युक्त महिला थी
आपकी धर्मपत्नी के रूप में श्रीमती पिस्ता बाई एक संवेदनशील महिला के रूप में आपकी हर कदम से कदम मिलाकर आपका जीवन पर्यंत सहयोग किया वह अवसर चाहे सुख का हो या अवसर दुख का हो
आपके एक बड़े भाई केवल चंद श्रीश्रीमाल तथा बहनों के रूप में रूपी बाई एवं मन्नू बाई का प्यार वह स्नैह हमेशा आपको मिलता रहा आपके पुत्रों में पूनम चंद गौतम चंद सतीश कुमार शैलेश कुमार कमलेश और विमलेश तथा पुत्री के रूप में श्रीमती किरण श्रीमती संगीता श्रीमती उमा ने माता-पिता की आज्ञा पालन करने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी माता-पिता के संस्कारों की छाप अब भी हम उनके परिवार में व्यापार में व्यवसाय में देख सकते हैं

कभी ना करी सामायिक न करा कभी प्रतिक्रमण पर रहे हमेशा समता भाव में

शहर की ऐसी शख्सियत श्री मेघराज जी जैन ना तो कभी समायिक की ना तो कभी प्रतिक्रमण किया लेकिन हां गुरु भगवंतो साधु साध्वी भगवंतो का आशीर्वाद सदा साथ रहा
धर्म क्रिया ना करते हुए भी आपने हमेशा धर्म को अपने अंदर जीवित रखा समय-समय पर पीड़ित मानवता की सेवा में हर मानव कल्याणकारी कार्यों में सहज भाव से आपका सहयोग दुर्ग नगर की जनता को मिलता रहा जिसका ना कभी प्रचार हुआ और ना कभी प्रसार हुआ वह इन चीजों से बहुत दूर रहते थे और इनका सख्त विरोध भी होता था
उनका मानना था अगर कोई चीज आप सीधे हाथ को दे रहे हैं तो उल्टे हाथ को भी ना पता चले कि आपने उनका सहयोग किया है वे प्रतिपल समता की भावना में हमेशा देखे जा सकते थे

सिद्धांतों से नहीं किया कभी समझौता

जीवन के हर प्रसंग में छात्र जीवन युवावस्था सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में भी आपने कभी अपने सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं किया अपने आप को हमेशा सिद्धांतों से बांध रखा कभी सिद्धांतों के विपरीत जाकर कोई कार्य नहीं किया जिसे पूरा शहर आज महसूस करता है और उन्हें इन्हीं कारणों से याद करता है

राजनीति के विरोधियों के साथ भी मित्रवर व्यवहार

श्री मेघराज जी जैन दुर्ग नगर की एक ऐसी शख्सियत थे और उनकी सामाजिक एवं राजनीति में सक्रिय रहते थे और शहर के विकास के लिए पूरा समर्पण लगते थे राजनीति में अपने विरोधियों से भी जीवन पर्यंत इनके संबंध सभी से मित्रवर व्यवहार रखते थे कई राजनीतिक प्रतिद्वंदी समय-समय पर इसे मार्गदर्शन प्राप्त करने भी आते थे और जो कोई भी उनके पास आता था सकारात्मक जवाब सही सलाह और सही रास्ता उन्हें दिखाते थे कई पारिवारिक एवं सामाजिक मामले उनके हस्तक्षेप से सुलह किये गए जो आज भी याद किये जाते हैं

चुनाव लड़ा सफलता ओर असफलता दोनों मिली

ऐसा भी अवसर आया जब आपने दुर्ग नगर से वार्ड पार्षद चुनाव लड़ने का भाग्य आजमाया लेकिन दो अलग-अलग चुनाव में आपको सफलता ओर असफलता दोनों मिली आप दो बार चुनाव लड़ें 1968 में झोपड़ी छाप में
79 मे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़े थे और चुनाव जीते थे

व्यापार में लाभ भी नीति एवं विधि सम्मत

 

श्री मेघराज जी जैन द्वारा स्थापित कपड़े की दुकान पूनम चंद गौतम चंद फर्म जो गांधी चौक दुर्ग में संचालित है और यह शहर की पुरानी नामी फर्म है जहां ग्राहकों से बिना भाव मोल के एक भाव में कपड़ा विक्रय किया जाता है जहां ग्राहक पूर्ण रूप से संतुष्ट होकर वहां अपनी खरीदी करते हुए आज हम देख सकते हैं इस दुकान में मोल भाव करने का आज भी कोई रिवाज नहीं है जिससे उनकी विश्वसनीयता में लगातार वृद्धि हम
हमेशा देख सकते हैं

मित्रता भी ऐसी जो सभी का मन भाए

वैसे तो श्री मेघराज जी का व्यवहार सभी से मित्रवर रहा है लेकिन उनके अभिन्न मित्रों में श्री मोतीलाल जी वोरा, श्री कस्तूरचंद जी पुरोहित श्री धीरज लाल जी जैन पत्रकार दाऊ कल्याण सिंह अग्रवाल श्री मोहन भैया श्री दिनकर डांगे श्री प्रहलाद तिवारी श्री प्रभु दयाल जी खंडेलवाल श्री शंकर लाल जी ताम्रकार उनके नामचिन मित्रों में से एक थे

पारिवारिक विवाह समारोह में सादगी के पक्षधर

श्री मेघराज जी को विवाह समारोह में सादगी पसंद थी वे तामझाम के बेहद विरोधी थे अपने पुत्रों के विवाह समारोह में बारात लेकर कम से कम लोगों को ले जाया करते थे विवाह समारोह में नाच गाना करना उन्हें पसंद नहीं था अगर उनकी इच्छा के विपरीत कोई कार्य होता था तो वह समारोह से लौट आते थे धर में आवागमन हेतु साधन हमेशा तैयार रहता था पर वे हमेशा सार्वजनिक साधनों का उपयोग करते थे जो उनकी सादगी का परिचय करती थी

शहर के सर्वांगीण विकास के लिए हमेशा प्रयत्नशील

पूरी तत्परता ओर पूरे समर्पण के साथ जिस कार्य को भी हाथ में लेते थे उसे कार्य को मूर्त रूप तक जरूर पहुंचाते थे अनेकों उदाहरण आज भी देखने को मिल जाएंगे

अनेक संस्थाओं में दी सेवाएं

शहर की सामाजिक राजनीतिक बैंकिंग जैसी कई संस्थानों में प्रमुख पदों पर आपने सेवाएं दी और अपना व्यक्तिगत आर्थिक लाभ और दलगत भावना से ऊपर उठकर कार्य करना इनका एकमात्र उद्देश्य होता था और यही एकमात्र कारण था जिसके कारण लोग आपका कायल थे और आपके साथ जुड़कर काम करने की इच्छा रखते थे जिन-जिन संस्थाओं में आपने कार्य किया वह संस्था आज शहर के अंदर शीर्श स्थान पर खड़ी है

शिक्षा और चिकित्सा में किया सहयोग बिना अपेक्षा के

सहयोग करने के पूर्व और सहयोग करने के पश्चात कभी आपके अंदर अपेक्षा की भाव नहीं रहा यह बताना मुश्किल होगा की कब किस व्यक्ति को पढ़ाई के लिए किस व्यक्ति को चिकित्सा के लिए कितना रुपए कब और कहां दिए लेकिन सामने वाले तक वह राशि सहयोग के लिए पहुंच जाती थी उनके माध्यम से हजारों की संख्या में सहयोग किया गया इस सहयोग के बल पर कोई डॉक्टर बना कोई इंजीनियर बना कोई वकील बन कोई सरकारी अधिकारी बना पर पता ना चला सहयोग किसने किया कई बातें तो उनके निधन के पश्चात निकाल कर आई उनके सहयोग से ही आज शहर के अंदर कई डॉक्टर इंजीनियर वकील अपने-अपने पेसे में लगें हैं

भारत सरकार के केंद्रीय रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस मेघराज जी से मिलने घर आए

समाजवादी पार्टी के चुनाव प्रचार के दौरान एक चुनावी सभा को संबोधित करने जब पुराना बस स्टैंड आए सभा को संबोधित करने के पश्चात रक्षा मंत्री स्वयं मेघराज जी के घर स्वयं चलकर आए पारिवारिक सदस्यों से भेंट किया

मेघराज नाम का समाजवादी विचारधारा का सूर्य अस्त 

10 मार्च 1990 का वह दिन जब पूरे शहर में होली का माहौल था होलिका दहन की तैयारी शहर में चल रही थी इस समय आपके स्वास्थ्य खराब होने और आपके निधन के समाचार से पूरे शहर का माहौल गमगीन हो गया होली के दिन गांधी चौक दुर्ग से आपकी अंतिम यात्रा निकाली जिसमें जैन समाज के अलावा दुर्ग शहर का बड़ा प्रबुद्ध नागरिक वर्ग अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचा उनका यह शरीर पंच तत्वों में विलीन हो गया

 

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