आराधक वही, जो परमात्मा के वचनों को मन में स्थिर करे.. युवाचार्य महेंद्र ऋषि
एएमकेएम में धर्मसभा का आयोजन
6 अगस्त चैन्नेई। व्यक्ति की आस्थाएं डगमगाती है, तो उसकी साधना, आराधना में आत्मगुणों का विकास नहीं हो पाएगा। मंगलवार एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर मे आयोजित धर्मसभा में श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषि जी महाराज ने श्रावक श्राविकाओं को धर्म उपदेश प्रदान करतें हुए कहा कि प्रत्येक जीव का अनादिकाल का प्रभाव है कि वह पुनः मोहनीय कर्म में फंस जाता है। मोहनीय कर्म के उदय से सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र प्रकट नहीं होते। दर्शन मोहनीय कर्म के वेदन से अनादिकाल से संसार में भ्रमण कर रहे हैं। उन्होंने कहा जब तक मन में संदेह रहता है तो कोई परिणाम नहीं आता। हमारे मन को बैचेन रखने वाली यह एक ऐसी समस्या है जो ज्ञानियों द्वारा बताई गई है। जब तक व्यक्ति की आस्थाएं डगमगाती है, उसकी साधना, आराधना में आत्मगुणों का विकास नहीं हो पाता। साधना, आराधना का मुख्य लक्ष्य आत्मगुणों का विकास है। आत्मगुण ज्ञान, दर्शन है। ज्ञान, दर्शन गुण का विकास आत्मगुणों के विकास से होगा। हमारा सम्यक्त्व मजबूत होगा। युवाचार्य प्रवर ने कहा कि सत्य वही है जो संदेह रहित हो। सत्य वही है, जो कभी नष्ट नहीं होता। सत्य वही है, जो जिनेश्वरों द्वारा बताया गया है क्योंकि वे हमारा हित चाहने वाले हैं। हम जो सुनते हैं, उसी बात को मन में धारण करते हैं। मन में धारण करना यानी सुरक्षित करना। जब तक मन में धारण नहीं करे तब तक वह परिपूर्ण काम नहीं करता। जिनके वचन हित की भावना से आए हुए हैं, वे निष्पक्ष बोलने वाले हैं, इसलिए सत्य है। उनके वचनों के प्रति विश्वास है कि संयम ग्रहण करने से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। सबसे पहले जरूरी है सत्य को मन में धारण करें, फिर स्थिर करें। यह चित्त को संकल्प रहित बनाता है। उन्होंने कहा जो आराधक है, उसकी सद्गति निश्चित है। आराधक वही, जो परमात्मा के वचनों को मन में स्थिर करे। भगवान के वचनों को काटने वाला कोई है ही नहीं, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। भगवान के वचनों को कोई चुनौती नहीं दे सकता। जो आराधक बनते हैं, वे शाश्वत सुख के अधिकारी बनते हैं। हम भी शाश्वत सुख के अधिकारी बनें।
इस दौरान धर्मसभा मे नासिक से वेरागन बहन दीक्षा भंसाली और जलगांव से वेरागन मयुरी चौरड़िया ने संसार व संयम, भोग व योग में भेद बताते हुए अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। उनका महासंघ के अध्यक्ष सुरेश चंद लुणावत,सज्जन राज तालेड़ा महामंत्री धर्मीचंद सिंघवी,देवराज लुणावत एवं महिला मंडल की बहनो ने वेरागन बहनो का बहुमान किया। रमेश विनायकिया व महावीरचंद बोरुंदिया ने अपने भाव प्रकट किए। संगीतकार रोहित लुंकड़ ने भाव भरा गीत प्रस्तुत किया।जलगांव से युवाचार्य ग्रुप के मनीष लुंकड़ व दुर्ग से संघ मंत्री टीकमचंद छाजेड़ की अगुवाई में युवाचार्यश्री के दर्शनार्थ व वंदनार्थ संघों का आगमन हुआ। कमल छल्लाणी ने धर्मसभा का संचालन किया।