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जहां मनोवर्गणा नहीं, वहां चिंतन नहीं .. युवाचार्य महेंद्र ऋषि महाराज , एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में धर्मसभा का आयोजन - Jinshashansandesh
December 23, 2024

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जहां मनोवर्गणा नहीं, वहां चिंतन नहीं .. युवाचार्य महेंद्र ऋषि महाराज , एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में धर्मसभा का आयोजन

जहां मनोवर्गणा नहीं, वहां चिंतन नहीं .. युवाचार्य महेंद्र ऋषि महाराज

एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में धर्मसभा का आयोजन

9 अगस्त चैन्नेई श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन महासंघ तमिलनाडु के तत्वावधान में एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में चातुर्मासार्थ विराजित श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी ने शुक्रवार को प्रवचन में कहा कि हमारे तीर्थंकरों ने हमारे जीवन के अंदर रहे हुए रहस्यों को जानने, समझने का साधन दिया है। उन्होंने कहा, जहां पहुंचने के लिए कई मनौवैज्ञानिक अपना पूरा जीवन लगा देते हैं, सैकड़ों ग्रंथ पढ लेते हैं। उसके बावजूद वे 1% रहस्यों को ही सुलझा सकते हैं।
युवाचार्य प्रवर ने कहा कि पहले हमारा जीवन शिक्षा से परिपूर्ण होता था। वहीं, आज जितना पढ़ाया जाता है, उतना ही ज्ञान प्रकट होता है। आज की पढ़ाई संकुचित हो गई है। उन्होंने कहा हम जिससे अनुभव कर सकते हैं, वह है तर्क। जो तर्क को जानता है, वह उस विषय का त्रिकाल ज्ञानी है। जिस तरह धुआं और आग का संबंध है, उसी तरह तर्क और अनुभव का संबंध है। जिस चीज में आब्जर्वेशन होता है, वह तर्क है।‌ उन्होंने कहा प्रज्ञा से धर्म को समझो। प्रज्ञा यानी जिसके अंदर निर्णय शक्ति हो। जिसको अपनी प्राथमिकता समझ में आए, वह प्रज्ञा है। जहां मनोवर्गणा नहीं है, वहां चिंतन नहीं हो सकता। भगवान ने चिंतन किया है, इसलिए भगवान की मनोवर्गणा शक्तिशाली व शुद्ध है।


हमारे मन की शक्ति आज कितनी विकृत हो गई है या वह इस्तेमाल ही नहीं हुई। मन की शक्ति का उपयोग औरों की भावना को समझने में करो।
उन्होंने कहा मन, जिसकी बहुत ताकत है। जिसमें संसार की हर चीज को नियंत्रित करने की ताकत है।‌ वैज्ञानिक कहते हैं हमारे मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं है, उनमें से 10% भी जीवन में काम नहीं आती। जिसके पास मन, प्रज्ञा, आब्जर्वेशन, अभिव्यक्ति, अक्षर ज्ञान नहीं, वैसे तीर्यंच गति के जीवों को कुछ नहीं पता। उनके पास चिंतन करने के लिए मन नहीं है। यह राग-द्वेष से जुड़ी चेतना है। वे मोहनीय कर्म का वेदन कर रहे हैं। जब वेदन कर रहे हैं तो आगे का बंध नहीं करते। हमारे ऊपर मोहनीय कर्म की पकड़ कितनी है, उसे कैसे जीत सकते हैं, उस पर चिंतन करना आवश्यक है। भगवान ने अपने ज्ञान से ये बातें बताई है। मुनिश्री हितेंद्र ऋषिजी ने बताया कि 21 अगस्त को आत्मध्यान साधना शिविर आयोजित किया जाएगा।‌ इस दौरान धर्मसभा मे राजस्थान,मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों से भक्तगण युवाचार्यश्री के दर्शनार्थ व वंदनार्थ उपस्थित हुए।‌ शुक्रवार को नवकार मंत्र जप के लाभार्थी बिलाड़ा का गोठी परिवार था। कमल छल्लाणी ने सभा का संचालन किया।

उपरोक्त जानकारी मडिया प्रवक्ता सुनिल चपलोत ने दी

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