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पेसठिया छंद का अनुष्ठान कर दिव्य तीर्थंकर परमात्मा से मांगा आशीर्वाद - Jinshashansandesh
December 23, 2024

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पेसठिया छंद का अनुष्ठान कर दिव्य तीर्थंकर परमात्मा से मांगा आशीर्वाद

तीर्थंकर परमात्मा का दिव्य आशीष लेने हुई पेसठिया छंद का अनुष्ठान

श्रीमती किरण संचेती श्रीमती सुप्रिया छाजेड़ कर रही मासक्षमण की तपस्या

18 अगस्त को होगा भाई बहन का जाप मंत्रोचार के बीच बहने बांधेंगी रक्षा कवच सुत

रिपोर्ट : नवीन संचेती दुर्ग

दुर्ग छत्तीसगढ़ आज जय आनंद मधुकर रतन भवन बांदा तालाब के सभागृह में साध्वी सुमंगल प्रभा डॉ सुवृद्धि श्री जी श्री रजत प्रभा श्रीजी प्रांजल श्री जी वंदना श्री जी महाराज ने मिलकर एक साथ दिव्य आत्मा तीर्थंकर परमात्मा का स्मरण करते हुए पेसठिया छंद का अनुष्ठान किया जिसमें जैन समाज के लोग पति-पत्नी सहजोडे मिलकर इस अनुष्ठान में भाग लिया

नवकार महामंत्र की आराधना के साथ यह पेसठिया छंद प्रारंभ हुआ यह पेसठिया छंद चोबीस तीर्थंकर परमात्मा की स्तुति है इसे प्रतिदिन दिन में एक बार इसका अनुष्ठान करने से ग्रह शांति विघ्न हरण संपत्ति लाभ प्रतिष्ठा लाभ पुत्र लाभ गर्भ रक्षण सहित सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है

आओ जाने पेसठिया छंद के बारे में

श्री पैंसठिया यंत्र का छंद बहुत हि मंगलकारी और प्रभावशाली है, इस स्तुति के माध्यम से 24 तीर्थंकर प्रभु की आराधना की जाती है। पैंसठिया यंत्र के छंद के पाठ से मनवाछित कामाना कि पूर्ती होती है । पैंसठिया यंत्र का निर्माण विशेष तरह से होता है, इसे दायें – बायें और ऊपर नीचे अर्थात् उर्ध्व और क्षितिज पंक्तियो का योग 65 ही होता है। पैंसठिया यंत्र के पाठ से दुःख दूर हो जाता है और व्यक्ति का यश, मान – सम्मान बढ़ता है। तीर्थंकर प्रभु की यह स्तुती पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ करनी चाहिए । पैसठिया यंत्र के छंद का पाठ नित्य नियम पूर्वक करना चाहिए ।
पेंसठिया छंद एक चौबीस तीर्थंकरों की सुन्दरतम स्तुति है। पेंसठिया छंद जो है ये हमारे आचार्यों द्वारा एक विशिष्ट रचना है। जो प्राचीनकाल में कुछ सदी पूर्व आचार्य प्रवर श्री धर्मसिंह जी महाराज साहब हुए है। उस काल में 4 क्रांतिकारी संतों में एक थे ।

आचार्य धर्मसिंहजी महाराज साहब जो गुजरात के थे इन्होंने सामान्य जनता के लिए जिसे संस्कृत उच्चारण के लिए कठिनाई होती थी। पढ़ने बोलने में बड़ी मुश्किल होती थी ऐसे समय में इसे आपश्री ने अपनी प्रचलित भाषा जनभाषा में डालकर उसको अनुवादित किया। जो पदय रचना में रचित जिसका आज जप अनुष्ठान किया गया।

पेंसठिया यानि पैसठ अंक वाले ऐसे विशिष्ट साधना बाला पाठ है। पैसाठिया छंद का पाठ करने रखे ग्रहशांति होती है। पेंसठिया छंद का जप करने से किसी भी प्रकार का विहन उपस्थित नहीं होता है। इससे समृद्धि, प्रतिष्ठाण प्राप्ति होती है। पेंसठिया का नित्य सुमिरन करने से सर्व मनोरथ पूर्ण होते हैं। सारी बाधाएं मिट जाती है पैसठिया का जप करने से कष्ट उपइव प्रकोप का निवारण होता है पेंसठिया छंदू के अनुष्ठान से जीवन की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त करने में इस छंद का उपयोग किया जाता है

ही सुन्दर स्तुति है पैसठिया छंद । जैसे मंत्रों में नमस्कार मंत्र वैसे यंत्रों में पेंसठिया यंत्र है। अहमदाबाद के दरियाखाना पीर की दरगाह में जब संकर आया तब आचार्य भगवन धर्मसिंहजी महाराज उसी दरगाह स्थल पर खड़े-खड़े इस पेंसठिया छंद की रचना की। यह एक ऐसा चमत्कारी छंद है जो हर व्यक्ति के जीवन में आधि व्याधि को शांत करता है। शांति और परम आनन्द की अनुभूति होती है। इस पेंसठिया छंद के द्वारा । इस आराधना साधना से मन को अपार प्रसन्नता प्राप्त होती है, सुख शांति का आभास होता है।

1 घंटे के इस अनुष्ठान में जैन समाज की बड़ी संख्या में श्रावक श्राविका उपस्थित थे जिन्होंने शुद्ध भावों के साथ इस छंद की आराधना की

श्रीमती किरण संचेती श्रीमती सुप्रिया छाजेड़ ने की बड़ी तपस्या

आज धर्म सभा में श्रीमती किरण देवी संचेती ने 30 उपवास मासखमण का संकल्प पुण किया तथा श्रीमती सुप्रिया छाजेड़ ने 22 उपवास का संकल्प धर्म सभा में लिया उपस्थित जनों ने उनके तप की अनुमोदन की

18 अगस्त को बहने बांधेंगी भाइयों को अभिमंत्रित रक्षा कवच सुत

रक्षाबंधन के पूर्व दिवस रविवार को जैन समाज की बहने अपने भाइयों की कलाई पर अभिमंत्रित रक्षा कवच सूत बंधेगी इस दौरान साध्वी मंडल वज्रपंजर स्रोत के मंत्रोच्चार करते हुए मंगल बेला में बहाने अपने भाइयों को एक विशेष मुहूर्त में रक्षा कवच सूत बंधेगी यह अनोखा नजारा हम 18 अगस्त को जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में देख सकते हैं

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