शख्सियत …… श्री पारस मल जी संचेती उम्र के इस पड़ाव में सजगता से धर्म आराधना ,जीव दया एवं मानव सेवा साधु साध्वी की सेवा में उत्कृष्ट योगदान
व्यक्तित्व जैन समाज की
श्री पारस मल जी संचेती
दुर्ग छत्तीसगढ़
दुर्ग छत्तीसगढ़ का लब्ध प्रतिष्ठित संचेती परिवार के वरिष्ठ सुश्रावक धर्म, संघ के हर सेवा भाभी कार्य में सहयोग प्रदान करने वाले श्री पारसमल जी संचेती का जन्म जोधपुर जिले के छोटे से गांव इंद्रोका में पिता श्री कालूराम जी, माता श्रीमती ग्यारह बाई के यहां 17 अक्टूबर 1933 को इंद्रोका में हुआ था
धर्म के प्रति अपार श्रद्धा और विश्वास रखने वाले श्री कालूराम जी संचेती के दो पुत्र श्री मांगी लाल जी तथा पारसमल जी थे तथा दो बड़ी बहनें श्रीमती गीता बाई, श्रीमती मोहनी देवी थीं।
आप जोधपुर जिले के इंद्रोका गांव में कक्षा 5 वी तक की शिक्षा ग्रहण की हे जब भी स्कूल की छिपी हुई थी, तब माता श्री के साथ गुरु भगवंतो तथा साधु साध्वी जी के दर्शन वंदन करने के लिए हमेशा साथ जाते थे, 9 माह की छोटी सी उम्र में पिता जी का स्वर्गवास हो गया था, बचपन से ही माता श्री से धार्मिक संस्कारों की पावन प्रेरणा से मिलती रही और माता श्री पावन प्रेरणा से ही परम पूज्य हजारीमल जी महाराज साहब से गुरु आमना लेकर उन्हें गुरु के रूप में स्वीकार किया।
आपके परिवार से बड़ी माँ श्री जमुना जी म.सा के रूप में जिन शासन में दीक्षित हुए उनकी गुरु बहन के रूप में श्री कान कंवर जी म.सा, श्री चंपा कंवर जी म.सा ,श्री बसंता जी म.सा श्री कंचन कंवर जी म.सा भी श्रमण संघ में दीक्षित हुए आपकी बेटी दामाद निर्मल जी निर्मल मुनि,पुत्री सरोज बाला विद्या जी के रूप में एवं दोयती कु प्रति जो की पृथ्वी जी के रूप में दीक्षित हुए जिन शासन की प्रभावना करते हुए समर्थ कुल का नाम रोशन कर रहें हैं
राजस्थान से आने के बाद कुछ वर्षों तक देशी नोकरी की ओर एक लंबे संघर्ष के बाद श्री पारसमल नेमीचंद संचेती फर्म के नाम से कपड़े की व्यवसाय में अपना नाम स्थापित किया गया है, जो आज शहर की प्रतिष्ठित फर्म मानी जाती है।
आप अपने बचपन के मित्रों के साथ, जहां भी गुरु भगवान एवं साधु साध्वी जी का चातुर्मास होता था, वहां दर्शन वंदन के लिए प्रतिवर्ष जाते थे।
आपका विवाह संवत 2009 मे भिलाई के 3 निवासी श्री अचल दास जी देशलहरा की सुपुत्री श्रीमती ईचारा देवी के साथ हुए आपके दो पुत्र श्री किशोर संचेती, राजेन्द्र संचेती हैं तथा तीन पुत्री सरोज,ममता,समता,हे आपके स्थायी पोटियों के रूप में नितीन मोनु अंकित अरिहंत से भरा पूरा परिवार धर्म आराधना में लगा हुआ है
आपके कंवर साहब श्री निर्मल जी गोलक्ष राजनंदगांववासी थे पुत्री सरोज के स्वर्गवास के पश्चात श्री निर्मल जी ने समर्थ गक्ष (उत्तम मुनि संप्रदाय) में दीक्षा ग्रहण कर ली जो आज निर्मल मुनि के नाम से विख्यात हैं
देव गुरु धर्म में अपार श्रद्धा भक्ति श्री पारसमल जी संचेती परिवार की हो रही है
श्री हजारी मल जी म.सा, श्री बृजलाल की म.सा, श्री मधुकर मुनि जी म.सा की पावन प्रेरणा एवं दिव्यआशीर्वाद से संचेती परिवार के भीतर धर्म ध्यान त्याग तपस्या धार्मिक भक्ति में सदैव सक्रिय समर्पण संध समाज में देखने को मिलता है वह
संघ के हर कार्य को आगे बढ़ाने की प्रेरणा देने वाले श्री पारसमल जी संचेती श्रमण संघ दुर्ग एवं छत्तीसगढ़ श्रमण संघ के आधार स्तंभ के रूप में पहचाने जाते हैं
जयमाला जी म.सा के दुर्ग चातुर्मास से जुड़े हुए हैं तथा पिछले 30 वर्षों से श्रमण संघ दुर्ग के कोष प्रमुख का कार्यभार संभाल रहे हैं, तथा अन्य कई जैन समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप कार्य कर रहे हैं, उनकी न अनुरूपता के बावजूद भी यह महती जिम्मेदार संघ समाज द्वारा उन्हें ही प्रदान की जा रही है, अभी वर्तमान में उनके पुत्र श्री किशोर जी संचेती इस महती जिम्मेदारी का कार्यभार संभाल रहे हैं,
अभी वर्तमान में श्री पारस मल जी संचेती व्यापार से पूर्ण रूप से निवृत्ति ले ली है तथा धर्म ध्यान में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं।