गुरु का आशीर्वाद सबसे बड़ी बड़ी,उसके बिना खुशियाँ और सफलता अधूरी-मुकेशमुनिजी म.सा.
जीवन में अपने गुरु के प्रति सम्मान सदैव बनाए रखें- सचिनमुनिजी म.सा.
गुरु पूर्णिमा के अवसर श्रावक-श्राविका के जीवन में गुरु का महत्व
अम्बाजी, 21 जुलाई। गुरु ही है जो हमें जीवन में सफलता की राह पर आगे बढ़ाता है। गुरु के आशीर्वाद से बड़ी इस जग में कोई पूजा नहीं हो सकती। जिसे गुरु का आशीर्वाद मिल जाए वह शिष्य का भाग्योदय होता है। हमारे जीवन में कितनी भी सफलताएँ और खुशियाँ आएँ लेकिन जब तक गुरु का आशीर्वाद हमें नहीं मिलेगा तब तक वह अधूरा है। ये विचार रविवार को गुरुपूर्णिमा के अवसर पर पूज्य गुरुदेव मरुधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा., लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वयोवृद्ध प्रवर्तक पूज्य गुरुदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. के शिष्य, मरुधरा गुरुदेव, शासन गौरव, प्रवर्तक पूज्य गुरुदेव श्री सुकन मुनिजी म.सा. के आज्ञानु विद्वान विद्वान युवा तपस्वी श्री मुकेश मुनिजी म.सा. श्री अरिहंत जैन श्रावक संघ अम्बाजी के आन्या में अम्बिका जैन भवन में धर्मसभा का आयोजन किया गया।
उन्होंने गुरु के जीवन के महत्व को समझाते हुए कहा कि किसी भी सफल साधक या महापुरुष के जीवन में आगे बढ़ने वाले गुरु के ही दर्शन करने चाहिए। गुरु ही ऐसा होता है जो मिट्टी को सोना दे देता है या उसके आशीर्वाद से प्रभावकारी कार्य भी संभव हो जाता है। सेवारत्न श्री ऋषि मुनिजी म.सा. उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा पर्व मनाना तभी सार्थक होगा जब हम अपने जीवन में गुरुओं का सात्विक मन से सम्मान करेंगे। गुरु के बिना ज्ञान नहीं हो सकता। जीवन में अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला गुरु होता है। गुरु ही जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। मोक्ष के द्वार तक शेयर का मार्ग भी गुरु ही तय करता है। गुरु का उपकार कभी नहीं भूला सकता। युवा रत्न श्री नानेश मुनिजी म.सा. उन्होंने कहा कि गुरु वही होते हैं जो हमें गोविंद कहते हैं यानी भगवान तक पहुंच का मार्ग बताते हैं गुरु को गोविंद से भी महान कहा जाता है। गुरु के बिना हमें भगवान की प्राप्ति संभव नहीं है। प्रवचनकार श्री हितेश मुनिजी मधुर म.सा. उन्होंने कहा कि गुरु हमारे अंदर के मिक्स में ही प्रोडक्ट का काम करते हैं। गुरु के प्रति मन में सदैव कर्तव्यपालन करना चाहिए। उपहारों से सुख और सफलता है। गुरु के बिना कोई शिष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। हमारी सारी सफलताएँ गुरु के चरण में निक्की कर सकती हैं। प्रार्थनार्थी श्री सचिन मुनिजी म.सा. गुरु पूर्णिमा के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा गया है कि केवल एक दिन गुरु की पूजा करने से कोई फर्क नहीं पड़ता, हमारे जीवन में अपने गुरु के प्रति सम्मान हमेशा बना रहना चाहिए। हमें कितने भी बड़े पद पर पहुंचें या कितनी भी सुख-सुविधाएं हमें मिलें लेकिन जीवन में किसी भी पल ये नहीं भूलें कि हमें यहां तक की सलाह में सबसे ज्यादा श्रेय हमारे गुरु का है। धर्मसभा में कई श्रावक-श्राविका ने आयम्बिल, एकासन, उपवास तप के प्रत्याख्यान भी दिये। मुनिवृंद के दर्शन के लिए गुजरात भाजपा महिला प्रदेश अध्यक्ष उपाध्यक्ष सर्वदा, बकुलेस शुक्ला, मंडल अध्यक्ष, अभिषेक जैन, मंडल ऋषि, वंदना बहन वासुमंडल मंडल अध्यक्ष मोर्चा, अजमेर से विजयराज मुगड़िया, विरार से भैरूलाल सियाल शामिल, पीपाड़सिटी, जोधपुर, मुंबई, हुबली आदि स्थान से भी श्रावकगण पधारे। श्रीसंघ का स्वागत श्रीसंघ द्वारा किया गया। चातुर्मासकाल में नित्य प्रवचन प्रातः 9 से 10 बजे तक।
प्रतिदिन दोपहर में हो रही धर्मचर्चा
रविवार को परम पूज्य हितेश मुनिजी म.सा. धार्मिक कक्षा लेकर श्रावक और मित्र को धर्म से जुड़ने की प्रेरणा और धार्मिक ज्ञान सीखने की प्रेरणा दी गई। उन्होंने बताया कि अगले रविवार को दोपहर में 64 श्लांधनीय पुरुषों के नाम प्रश्नपत्र पर होंगे। चातुर्मास की अवधि में प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक धर्मचर्चा के लिए जाएं। सूर्य के बाद प्रतिक्रमण होगा। परामर्शदाता के लिए रात्रि धर्म चर्चा का समय रात्रि 8 से 9 बजे तक। प्रत्येक रविवार को दोपहर 2.30 से 4 बजे तक धार्मिक प्रतियोगिता का आयोजन होगा।
अद्यतन जानकारी नीलेश कैंथेड ने दी