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त्याग की भावना से ही संध मजबूत बन सकता है : युवाचार्य महेंद्र ऋषि जी - Jinshashansandesh
December 23, 2024

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त्याग की भावना से ही संध मजबूत बन सकता है : युवाचार्य महेंद्र ऋषि जी

त्याग की भावना से ही संगठन मजबूत बन सकता है ..युवाचार्य महेंद्र ऋषि

आनंद जन्मोत्सव पर 1008 तेले तप की तपस्या के प्रथम उपवास के सामूहिक होगे प्रत्याख्यान शनिवार को एएमकेएम में

2 अगस्त चैन्नेई । श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी ने शुक्रवार को एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में आयोजित विशाल धर्मसभा मे नौ दिवसीय आनंद जन्मोत्सव के छठे दिन श्रोताओं को धर्म उपदेश प्रदान करतें हुए कहा कि जहां धर्म को धर्म का यूज लिया जा रहा है, वहां धर्म कम होता जा रहा है। वह भी एक समय था जब संचार माध्यम और परिवहन व्यवस्था उन्नत नहीं थी, फिर भी सभी संप्रदायों में तालमेल, संगठन रहता था। 1939 में आचार्य आनंद ऋषि को ऋषि संप्रदाय के युवाचार्य बनाया गया। आनंद ऋषिजी अपनी संघीय व्यवस्थाओं, समाचारी में सजग थे। वे ध्यान रखते थे कि हर कार्य व्यवस्थित और समाचारी के अनुसार हो। 1942 में उन्हें आचार्य पदवी दी गई।
उन्होंने कहा उससे पहले 1936 में संघ-समाज में रुचि बढे, ज्ञान के अभाव में जिनशासन कमजोर न पड़े, इसके लिए श्रुतज्ञान को बढ़ाया। आज भी कहता हूं हमारे श्रावक संघ के प्रति समर्पित हो जाए तो संघ एक हो सकता है। श्रावकों को इसके लिए पहल करनी पड़ेगी। उस समय संघ के संगठन के नाम पर आचार्य पद तक छोड़ने को तैयार रहते थे। जब तक त्याग नहीं होता, संगठन नहीं बन सकता। जब व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षा को लेकर चलता है तो संघ, संगठन टूट जाते हैं। वे अपनी महत्वाकांक्षा को एक तरफ रखे तो संगठन मजबूत हो जाता है। इसके लिए त्याग की प्रवृत्ति जरूरी है। पांच संप्रदायों ने एक साथ मिल वीर श्रमण संघ की स्थापना की। उसके आचार्य बनने से गुरुदेव की जिम्मेदारी बढ गई। उन्होंने सभी संप्रदायों को एक साथ लाकर बिना किसी प्रांतीय भेदभाव के स्थानकवासी वर्धमान संगठन का निर्माण किया। श्रमण संघ ने पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण सभी साधु संतो के विहार को सुलभ बना दिया। उन्होंने कहा संघ को आगे बढ़ाना है तो संघ के गौरव को आगे बढ़ाना होगा।‌ संघ के प्रति अहोभाव रखते हुए आप सभी साधना, आराधना करें।‌ शुक्रवार को नवकार मंत्र जप के लाभार्थी ललित- स्नेहा संचेती परिवार थे। तडा से भक्तामर मंडल और विभिन्न क्षेत्रों से कई श्रद्धालु युवाचार्यश्री के दर्शनार्थ उपस्थित हुए। शनिवार से आनंद जन्मोत्सव कार्यक्रम के तहत 1008 सामूहिक तेले तप की तपस्या के प्रथम उपवास के प्रत्याख्यान रहेगे। धर्मसभा का संचालन कमल छल्लाणी ने किया।

उपरोक्त जानकारी प्रवक्ता सुनिल चपलोत ने दी

 

 

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