जब तक दिलों में शैतानियत भरी है तब तक मन पर क्रोध का शासन रहेगा : साध्वी सुमंगल प्रभा जी
दुर्ग (छत्तीसगढ़) जय आनंद मधुकर रतन भवन में आध्यात्मिक वर्षावास की धर्म सभा हर्ष और उल्लास के वातावरण में निवार्द गति से चल रही है धर्म ध्यान त्याग तपस्या नवकार जाप अनुष्ठान के साथ की धर्म क्रियाओ के साथ आध्यात्मिक वातावरण में चतुर्मास चल रहा है
जय आनंद मधुकर रतन भवन बांदा तालाब दुर्ग की धर्म सभा को संबोधित करते हुए महासती साध्वी सुमंगल प्रभा ने कहा
कसाय के कारण ही आत्मा की भव परंपरा की लत सदैव पुष्पित रहती है यदि कसाय की ज्वाला धड़क रही है तो यह कसाय की भव परंपरा की जड़ को सदैव पुष्पित रहता है क्रोधी मानव क्रोध के बांण के स्वयं को आहत कर लेता है जिसके जिस भव परंपरा ही बिगड़ जाती है क्रोध का बांण हजारों भवों को बिगाड़ देता है गौशालाक ने तेजोलेश्या क्रोध के कारण ही तो फेंकी थी
क्रोध आग की ज्वाला है क्रोध एक विष और व्याधि है आत्मा का वह सबसे बड़ा शत्रु है क्रोध में कर्म रूपी रज का आगमन है क्रोध में भय और शोक है जब तक दिलों में शैतानियत भरी है तब तक मन पर क्रोध का शासन रहेगा
साध्वी जी ने आगे कहा इंसान ने क्रोध को अपने सीने से लगा रखा है आदमी क्रोध में खाना छोड़ देता है लेकिन क्रोध नहीं छोड़ता आज हर घर पर क्रोध का कॉलेज बना हुआ है पुत्र गलती कर रहा है तो पिता उसे क्रोध की भाषा में समझाता है, बहू से गलती हुई तो सास उसे क्रोध करते हुए समझाती है क्रोध की कड़वाहट जब हमारी बोली में मिल जाती है तो भाषा की मिठास खत्म हो जाती है
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कहा जाता है कि खटमल का खून लगता ही हीरे की चमक समाप्त हो जाती है यही कहानी हमारे आत्मा की है उसे पर कसाय का दाग लग जाता है तो उसकी सारी चमक समाप्त हो जाती है आत्मा की चमक खत्म ना हो इस हेतु कसाय को बंद करो क्रोध करने से प्रेम बढ़ता है की घटना है जिन पर हम क्रोध करते हैं कभी उनसे पूछो कि उन्हें क्रोध की जरूरत है या प्रेम की कोई भी व्यक्ति क्रोध की चाह नहीं रखता है